श्रीमती जमुना देवी जी का जन्म 29 नवंबर, 1929 को धार जिले के सरदारपुर में हुआ था। श्रीमती जमुना देवी जी एक वरिष्ठ आदिवासी नेता थीं, उन्होंने मध्यप्रदेश विधानसभा में धार जिले के कुक्षी निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था।
श्रीमती जमुना देवी जी वर्ष 1952 से 1957 तक तत्कालीन मध्य भारत राज्य की पहली विधानसभा की सदस्य रहीं।
वें वर्ष 1962 में झाबुआ से लोकसभा सदस्य के रूप में चुनी गईं और 1978-81 तक राज्य सभा की सदस्य भी रहीं।
श्रीमती जमुना देवी जी वर्ष 2003 में पहली बार विपक्ष की नेता बनीं और उनके कुशल नेतृत्व को देखते हुए उन्हें जनवरी 2009 में इस पद पर दूसरा कार्यकाल भी सौंपा गया।
श्रीमती जमुना देवी जी ने कांग्रेस की दिग्विजय सिंह सरकार में राज्य की उप-मुख्यमंत्री और इससे पहले मोतीलाल वोरा जी की सरकार में मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया।
जमुना जी ने समाज सेवा और राजनीति में 58 वर्षों से अधिक का योगदान दिया। उन्होंने जनजातीय वर्ग के हित-अधिकारों के लिए लम्बी लड़ाई लड़ी।
उन्होंने बेबाक़ अन्दाज़ में अपनी बात प्रखर रूप से जिम्मेदारों के सामने रखी और वे कभी अपनी बातों से पीछे नहीं हटी वें मध्यप्रदेश की राजनीति में एक निर्भीक, निष्पक्ष और वंचीतौ के अधिकारों के लिए लड़ने वाली एकलौती महिला आवाज़ थी।
उनके बोलने का बेबाक़ अन्दाज़ अच्छे-अच्छों का पसीना छुड़ा देता था।
उन्होंने सक्रिय राजनीति में रहते हुए विधायक, सांसद, मंत्री, उप-मुख्यमंत्री और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया।
वें एक असाधारण व्यक्तित्व की धनी थीं। पूरा प्रदेश उन्हें प्रेम से बुआ जी कह कर बुलाता था।
वें वंचित, कमजोर, गरीब, महिलाओं और जनजातीय लोगों के हित में सबसे आगे रहकर कार्य करने वाली नेता थीं।
मध्यप्रदेश विधानसभा की नेता प्रतिपक्ष और दिग्गज कांग्रेस नेता श्रीमती जमुना देवी जी 81 वर्ष की आयु में लम्बे हृदय रोग के बाद 24 सितम्बर 2010 में पंचतत्व में विलीन हो गई।
मध्यप्रदेश में उनके इस विशेष योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता
लेकिन उनके द्वारा जलाई गई वंचीतों के अधिकारों की लौ को ज्योति बनाने का कार्य उनके भतीजे विधायक उमंग सिंघार जी ने किया। वें जमुना जी के व्यक्तिव को आदर्श मान कर उनके पदचिन्हों पर चलने का प्रयास सदेव से कर रहें हैं।