भगोरिया पर्व 2025: नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने आदिवासी संस्कृति में डूबकर मनाया उत्सव
मध्य प्रदेश के आदिवासी अंचलों में मनाया जाने वाला भगोरिया पर्व इस वर्ष भी पारंपरिक उल्लास और सांस्कृतिक रंगों से सराबोर रहा। इस अवसर पर मध्य प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने गंधवानी क्षेत्र में आयोजित भगोरिया महोत्सव में भाग लिया और स्थानीय आदिवासी समुदाय के साथ उत्सव की खुशियाँ साझा कीं।
उमंग सिंघार की भागीदारी
उमंग सिंघार ने पारंपरिक पोशाक धारण कर ढोल-मांदल की थाप पर आदिवासी युवाओं के साथ नृत्य किया, जिससे आयोजन में एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। उनकी यह भागीदारी न केवल राजनीतिक उपस्थिति थी, बल्कि आदिवासी संस्कृति के प्रति उनकी गहरी संवेदनशीलता और सम्मान को दर्शाती है।
भगोरिया पर्व का महत्व
भगोरिया पर्व होली से पूर्व मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण आदिवासी उत्सव है, जो मुख्यतः झाबुआ, अलीराजपुर, धार, खरगोन और बड़वानी जिलों में आयोजित होता है। यह पर्व युवा लड़के-लड़कियों के प्रेम और सामाजिक मेल-मिलाप का प्रतीक माना जाता है। पारंपरिक वेशभूषा, लोक संगीत, नृत्य और हाट-बाजार इस उत्सव की विशेषताएं हैं।
सांस्कृतिक संरक्षण की पहल
उमंग सिंघार ने इस अवसर पर कहा, "भगोरिया पर्व आदिवासी संस्कृति की शान है, जो इस प्रकार के सांस्कृतिक आयोजनों के ज़रिए हमारे दिलों में अमिट छाप छोड़ जाता है।" उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि ऐसे उत्सवों के माध्यम से आदिवासी परंपराओं का संरक्षण और संवर्धन संभव है।
राजनीतिक और सामाजिक संदेश
उमंग सिंघार की भगोरिया पर्व में सक्रिय भागीदारी ने यह संदेश दिया कि राजनीतिक नेता यदि समुदाय की सांस्कृतिक गतिविधियों में शामिल होते हैं, तो इससे समाज में एकता और समरसता की भावना प्रबल होती है। उनकी उपस्थिति ने स्थानीय आदिवासी समुदाय को यह विश्वास दिलाया कि उनकी संस्कृति और परंपराएं सम्मानित हैं।
निष्कर्ष
भगोरिया पर्व 2025 में उमंग सिंघार की भागीदारी ने न केवल उत्सव की रौनक बढ़ाई, बल्कि आदिवासी संस्कृति के प्रति सम्मान और संरक्षण का संदेश भी प्रसारित किया। इस तरह के आयोजनों में नेताओं की सक्रिय उपस्थिति समाज में सांस्कृतिक एकता और जागरूकता को बढ़ावा देती है।
स्रोत: linkturn0search1