जाति जनगणना — जननायक राहुल गांधी जी के संघर्ष को समर्पित एक ऐतिहासिक पहल
आखिरकार सरकार को जाति जनगणना कराने का निर्णय लेना पड़ा। यह राहुल गांधी जी के अथक संघर्ष और दृढ़ संकल्प की ऐतिहासिक जीत हुई ।यह निर्णय सामाजिक न्याय और समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
राहुल गांधी जी की यह जीत भारत के वंचित और पिछड़े वर्गों की आवाज को नई ताकत देगी।
भारत की सामाजिक न्याय, समानता और समावेशन की दिशा में आज जो ऐतिहासिक कदम उठाया गया है — जाति जनगणना — उसके मूल में वर्षों का लंबा संघर्ष, दूरदर्शिता, संवेदनशीलता और अद्वितीय समर्पण छिपा है। मैं व्यक्तिगत रूप से इस बात का जीवंत साक्षी रहा हूँ कि हमारे नेता, जननायक श्री राहुल गांधी जी ने इस मुद्दे के लिए किस प्रकार निरंतर संघर्ष और संघर्षशील नेतृत्व किया है।
मैंने स्वयं राहुल गांधी जी को अनेक मंचों पर, संसद से लेकर सड़कों तक, इस विषय को न केवल मजबूती से उठाते हुए देखा है, बल्कि सामाजिक न्याय की गहरी समझ, संवेदनशीलता और अदम्य साहस के साथ इसके पक्ष में आवाज़ बुलंद करते हुए भी देखा है। उनका दृष्टिकोण हमेशा स्पष्ट और दूरगामी रहा है — यह केवल जातिगत आंकड़ों का प्रश्न नहीं है, बल्कि करोड़ों वंचितों, गरीबों, ओबीसी, दलितों और आदिवासी भाई-बहनों के न्याय, पहचान और अधिकारों का प्रश्न है।
2018 से लेकर आज तक, संसद से लेकर सड़कों तक, आम जनता के बीच से लेकर अंतर्राष्ट्रीय मंचों तक, उन्होंने पूरी स्पष्टता और संकल्प के साथ बार-बार कहा — ‘‘अगर हम सच में गरीबों, OBC, दलितों और आदिवासियों को न्याय देना चाहते हैं, तो हमें पहले यह जानना जरूरी है कि उनकी संख्या कितनी है और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति क्या है।’’
मैंने उन्हें कई बार मंचों पर देखा है, जब वे ‘जितनी आबादी, उतना हक’ के सिद्धांत को न केवल आवाज़ देते थे बल्कि उसे एक जनआंदोलन की शक्ल भी देते थे। उन्होंने इस विषय को केवल आरक्षण के संकीर्ण दायरे में नहीं बांधा, बल्कि इसे समावेशी विकास, समान भागीदारी और सच्चे लोकतंत्र की आत्मा से जोड़कर देखा। यही सोच, यही दृष्टि और यही संवेदनशीलता इस ऐतिहासिक निर्णय का मूल आधार बनी है।
राहुल गांधी जी के नेतृत्व और दूरदर्शिता का ही परिणाम है कि आज यह मुद्दा राष्ट्रीय विमर्श का केंद्रीय बिंदु बना है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 के घोषणा-पत्र में इसे प्रमुखता से शामिल कर, भारत जोड़ो यात्रा के हर मंच पर इसे दोहराकर, और 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारियों में इसे कांग्रेस पार्टी के मुख्य एजेंडे के रूप में सामने रखकर, उन्होंने इसे महज एक मांग नहीं रहने दिया बल्कि एक राष्ट्रीय नैतिक दायित्व बना दिया।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव से लेकर भारत जोड़ो यात्रा और फिर देशव्यापी अभियानों तक, राहुल गांधी जी ने इसे न केवल कांग्रेस पार्टी के नीति-एजेंडे में शामिल किया, बल्कि इसे राष्ट्रीय विमर्श का एक केन्द्रीय मुद्दा भी बना दिया। संसद में उनके ओजस्वी वक्तव्यों से लेकर देश की ज़मीन पर उनकी संवाद यात्राओं तक, उन्होंने हर स्तर पर इस मुद्दे को न केवल जीवित रखा बल्कि इसे जनभावना का मुद्दा बना दिया।
उनकी नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता का ही प्रभाव है कि आज अन्य राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों को भी इस मुद्दे पर सोचने और कदम उठाने के लिए विवश होना पड़ा। बिहार सरकार द्वारा राज्यस्तरीय जाति जनगणना की घोषणा और अन्य राज्यों में इस विषय पर चर्चा की शुरुआत इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है। इस पूरी प्रक्रिया ने जातिगत जनसंख्या और सामाजिक-आर्थिक स्थिति को समझने के महत्व को राष्ट्रीय एजेंडे में सर्वोच्च प्राथमिकता दिलाई है।
राहुल गांधी जी की नेतृत्व शैली में जो विशेषता रही है, वह यह कि उन्होंने हमेशा अपने सिद्धांतों पर अडिग रहते हुए, हर वर्ग की आवाज़ को सम्मान दिया और न्याय की लड़ाई को सच्चे अर्थों में जन आंदोलन का रूप दिया। आज जब केंद्र सरकार को भी आखिरकार जाति जनगणना कराने का फैसला लेना पड़ा, तो यह निर्णय न केवल सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम है, बल्कि राहुल गांधी जी की विचारधारा, उनकी नीतियों और उनके वर्षों के निरंतर संघर्ष की स्पष्ट और निर्णायक जीत भी है।
कांग्रेस पार्टी लंबे समय से इस मांग को उठा रही थी — आज देश की आवाज़ को स्वीकार कर लिया गया है। राहुल गांधी जी ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जब तक आंकड़े सार्वजनिक नहीं होते और वास्तविक नीतिगत परिवर्तन नहीं होते, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।
यह केवल आंकड़ों का सवाल नहीं है; यह निर्णय देश के करोड़ों वंचितों, दलितों और आदिवासियों को पहचान, भागीदारी, समानता और अधिकार दिलाने की दिशा में एक ऐतिहासिक मोड़ है। यह निर्णय न केवल वर्तमान के लिए बल्कि आने वाली पीढ़ियों के सामाजिक-आर्थिक न्याय और सशक्तिकरण का आधार बनेगा।
मैं पूरी निष्ठा और स्पष्टता के साथ यह कहता हूँ कि इस ऐतिहासिक पहल का सम्पूर्ण श्रेय हमारे जननायक श्री राहुल गांधी जी के नेतृत्व, उनकी संवेदनशीलता, दूरदर्शिता और अथक संघर्ष को जाता है। उनकी सोच और उनका समर्पण आज साकार हो रहा है। इस अवसर पर मैं उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ और यह संकल्प लेता हूँ कि हम उनके नेतृत्व में सामाजिक न्याय की इस यात्रा को आगे भी पूरी प्रतिबद्धता के साथ जारी रखेंगे।
राहुल गांधी जी की दूरदर्शिता और संघर्ष की ऐतिहासिक जीत हुई है। यह पूरे देश के वंचित समाजों की आवाज़ की जीत है।
मैं, उमंग सिंघार, नेता प्रतिपक्ष (मध्यप्रदेश विधानसभा),
जननायक राहुल गांधी जी को इस ऐतिहासिक सामाजिक न्याय की लड़ाई का अग्रदूत मानते हुए उन्हें कोटि-कोटि नमन करता हूँ और देशवासियों से अपील करता हूँ कि इस ऐतिहासिक कदम का समर्थन कर हम सभी एक न्यायपूर्ण भारत के निर्माण में सहभागी बनें।
जय भारत।
जय संविधान