आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष के रूप में उमंग सिंघार की भूमिका: कांग्रेस की आदिवासियों से जुड़ने की नई उम्मीद
मध्य प्रदेश की राजनीति में एक नया मोड़ उस समय आया जब नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार को मध्य प्रदेश आदिवासी विकास परिषद का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। यह निर्णय न केवल पार्टी के रणनीतिक दृष्टिकोण का हिस्सा है, बल्कि कांग्रेस द्वारा आदिवासी समाज के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने की एक महत्वपूर्ण पहल भी मानी जा रही है।
आदिवासी समुदाय की अहमियत
मध्य प्रदेश की राजनीति में आदिवासी समुदाय एक बड़ा और प्रभावशाली वर्ग है। राज्य की कुल जनसंख्या में लगभग 21% हिस्सा आदिवासियों का है, जो कई विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी परिणाम तय करने की क्षमता रखते हैं। ऐसे में कांग्रेस का यह कदम स्पष्ट करता है कि वह आदिवासियों के विश्वास को फिर से जीतने की दिशा में गंभीर है।
उमंग सिंघार का अनुभव और पहचान
उमंग सिंघार स्वयं एक प्रभावशाली आदिवासी नेता हैं और धार जिले के गंधवानी क्षेत्र से आते हैं। वे चार बार विधायक रह चुके हैं और कैबिनेट मंत्री के रूप में भी कार्य कर चुके हैं। आदिवासी समाज में उनकी गहरी पैठ, जमीनी स्तर पर कार्य करने का अनुभव और बेबाक शैली उन्हें आदिवासी समाज का सशक्त प्रतिनिधि बनाती है।
कांग्रेस की रणनीति
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आदिवासी क्षेत्रों में अपनी जड़ें मजबूत की हैं, जिसके चलते कांग्रेस को कई बार हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में सिंघार जैसे सशक्त आदिवासी चेहरे को फ्रंटफुट पर लाकर कांग्रेस ने संकेत दे दिया है कि वह 2028 के विधानसभा चुनाव से पहले अपनी खोई हुई पकड़ को फिर से हासिल करना चाहती है।
परिषद की भूमिका
मध्य प्रदेश आदिवासी विकास परिषद का गठन राज्य में आदिवासी समुदाय के सर्वांगीण विकास, उनकी समस्याओं की पहचान, और उनके अधिकारों के संरक्षण के उद्देश्य से किया गया है। उमंग सिंघार की अध्यक्षता में इस परिषद से उम्मीद की जा रही है कि यह न केवल सामाजिक-सांस्कृतिक मुद्दों पर ध्यान देगी, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य, भूमि अधिकार और रोजगार जैसे क्षेत्रों में भी ठोस कार्य करेगी।
सामाजिक-सांस्कृतिक जुड़ाव
सिंघार पहले ही भगोरिया जैसे परंपरागत त्योहारों में भाग लेकर आदिवासी संस्कृति से अपने जुड़ाव को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित कर चुके हैं। उनकी उपस्थिति स्थानीय जनजीवन में एक सकारात्मक संदेश देती है कि वे न केवल एक राजनेता हैं, बल्कि समाज के भीतर से आने वाले प्रतिनिधि हैं जो उनकी भाषा, संस्कृति और भावना को समझते हैं।
निष्कर्ष
कांग्रेस ने उमंग सिंघार को आदिवासी विकास परिषद का अध्यक्ष बनाकर स्पष्ट संकेत दिया है कि वह आदिवासी समाज के साथ अपने रिश्तों को पुनः स्थापित करना चाहती है। सिंघार की यह नई भूमिका न केवल कांग्रेस के लिए राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि आदिवासी समाज के सशक्तिकरण की दिशा में एक ठोस कदम भी साबित हो सकती है। अगर यह पहल सफल होती है, तो यह कांग्रेस के लिए मध्य प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर वापसी का रास्ता खोल सकती है।